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शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते है।

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महाकारुण्यरूपिणीम्।। (श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्)

महासरस्वती नामक तीन रूपों में सच्चिदानन्दमयी आदिशक्ति योगमाया को हम अविद्या (मन की चंचलता और विक्षेप) दूरकर प्राप्त करें।

यदि आपके जीवन मे राहू दोष है तो आपको मानसिक तनाव, लगातार आर्थिक नुकसान, स्वयं की कार्यक्षमता को लेकर गलत फहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर क्रोधित होना, निरंतर वाणी में कठोरपन बढ़ते जाना, सामान्य बातचीत में अपशब्दों के प्रयोग के साथ सामने वाले से उलझ जाना, इन सब के साथ ही आपके शरीर से हाथ पैर के नाखून स्वयं ही छोटे कण के रूप में टूटने लगते हैं। यह सारे संकेत यह दर्शाते हैं कि आपके कुंडली मे राहु का दोष है। इसके निवारण के लिए दिए गए मन्त्र का बताए गए विधि पूर्वक जाप करें अवश्य ही लाभकारी होगा और आपको इस कष्ट से छुटकारा प्राप्त होगा।

की ओर मुख करके गायत्री मंत्र जप करें। शाम

आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें। totka इस

क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है। विद्यार्थीयों के लिए---- गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु

कहा जाता है। मृत्यु अगर निकट आ जाए और आप महाकाल के महामृत्युंजय मंत्र

नवार्ण मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' है। 

है। जिसको स्वयं हनुमान जपते हैं। अत: यह कमजोर कैसे हुआ। वहीं बिठठल तो तुकाराम नामदेव

निर्धारित जगह पर ही करें. रोज अपनी जगह न बदलें. जितने भी दिन का यह जाप हो.

मुक्त कर देता है, इसीलिए इसे मोक्ष मंत्र भी कहा जाता है।

प्रभावशाली हो जाता है। इसकी अनुभूति साधक अपने साधनाक्रम में पा सकते है। वैसे जहां

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